दोस्तो हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने कई व्रत व त्योहार आते रहते हैं और सभी त्योहार के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह छिपी होती है. अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत ही खास होती है
क्योंकि इस दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है जिसे कई जगहों पर जितिया या जिउतिया नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत विशेष तौर पर पूर्वांचल क्षेत्र में रखा जाता है और इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति व संतान की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती है ऐसे में चलिए जानते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत के मौके पर इससे जुड़ी खास बातें……
जितिया व्रत कब है जीवित्पुत्रिका व्रत, डेट & शुभ मुहूर्त
इस साल जितिया व्रत 6 अक्टूबर यानि आज 2023 को मनाया जा रहा है यह 24 घंटे का निर्जला व्रत होता है। पंचाग के अनुसार जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
इस साल अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानि 7 अक्तूबर को सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी सनातन धर्म में उदया तिथी मान है इसलिए 6 अक्टूबर को ही जितिया व्रत मनाया जाएगा। व्रत में 1 दिन पहले ही तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना होता है।
जितिया व्रत क्यों मनाया जाता हैं जीवित्पुत्रिका व्रत
जितिया व्रत संतान की दीर्घायु के लिऐ रखा जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के दौरान जब द्रोणाचार्य की मृत्यु हुई तो इसका बदला लेने के लिए उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र चला दिया, जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की संतान को फिर से जीवित कर दिया। बाद में उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। कहते हैं कि तभी से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु एवं स्वस्थ जीवन के लिए जितिया का व्रत करने लगी।
जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत कथा धार्मिक मान्यता के अनुसार जितिया व्रत के दिन महिलाएं संतान सुख के लिऐ और अपने संतान की लंबी आयु के लिए 24 घंटे तक बिना पानी पिए उपवास करती है इस व्रत को करने से संतान को आरोग्य जीवन का भी वरदान मिलता है इस व्रत को स्त्रियां पुरातन समय से करती आ रही है |
आर एस व्रत को करने से संतान की रक्षा स्वयं भगवान श्री कृष्ण करते हैं जितिया व्रत को करने से जिनकी संतान नहीं होती है उनको संतान की भी प्राप्ति होती है जो माताएं इस व्रत को करती है उनकी संतान बहुत गुणी और बहुत तेजस्वी होते हैं ।
कैसे मनाएं जीवित्पुत्रिका व्रत-
जितिया व्रत में पहले दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ एवम स्वच्छ वस्त्र धारण करे इसके बाद गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर स्वच्छ कर दें। अब मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाएं अब धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों से पूजन करें।
उन दोनों के मस्तकों पर लाल सिंदूर लगा दें। अब अपने वंश की वृद्धि और निरंतर प्रगति के लिए उपवास करके बांस के पत्रों से पूजन करें। तत्पश्चात जीवित्पुत्रिका व्रत एवं उसके महात्म्य की कथा पढ़ें अथवा सुनें।
यह व्रत प्रदोष काल व्यापिनी अष्टमी को किया जाता है, जिसमें जीमूतवाहन का पूजन होता है। पारण से पहले सूर्य को अर्घ्य देना जरूरी है। उदया तिथि के अनुसार यह व्रत किया जाता है। इस व्रत का पारण नवमी तिथि प्राप्त होने पर किया जाता है।
जितिया व्रत के मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया की आरती
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप…
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप….
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप…
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप…
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप…
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप…
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्व
ज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप…
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