प्राण प्रतिष्ठा क्या है? और इसकी क्या क्या है प्रक्रिया
जैसा की आप सब जानते ही है की इस बार 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान् श्री राम जी की मूर्ति की प्राण पर्तिष्ठा होने जा रही है और इस मौके पे पुरे देश के अंदर इस बार जनवरी के महीने में दूसरी बार दिवाली मनाई जा रही है पुरे अयोध्या में धूम धाम मची हुई है और तो और बड़े बड़े पदों के लोग इस प्राण पर्तिष्ठा के कार्य में शामिल होने जा रहे है जो की देश के लिए बड़े ही गौरव की बात है। लेकिन आप सब के मन में एक ख्याल जरूर आया होगा की आखिर यह प्राण पर्तिष्ठा क्या होती है और इसको करने की क्या क्या प्रक्रिया है।
आखिर २२ जनवरी का वो पावन दिन आ चूका है और जिसका हम सब राम भक्तो को कब से इंतज़ार था , कल भगवान् राम की प्राण पर्तिष्ठा होने जा रही है जो और इसी मौके पर मंदिर के गर्व गृह का कार्य बहुत ही जोरो शोरो से चल रहा है।
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इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के साथ साथ अन्य देश विदेश के लोग भी शामिल होंगे और इस अवसर पर अयोध्या में शामिल होकर देश को गौर्वंगित करेंगे , राम जी के शुभ कार्यक्रम पर मैं आप सभी को बधाई देना चाहता हूँ यदि आप सब भी राम भक्त है और राम जी की इस भव्य कार्यक्रम से खुश है तो आप भी कमेंट सेक्शन में जय श्री राम अवस्य ही लिख कर जाए।
चलिए जानते है प्राण प्रतिष्ठा क्या है और इसकी क्या क्या है विधिया
हिन्दू और जैन धर्म के मुताविक प्राण पर्तिष्ठा एक ऐसा अनुष्ठान है जिसके जरिये आप मंदिर के अंदर किसी भी देवी या देवी की पूर्ति को प्रतिष्ठित करते है और इस दौरन मूर्ति को भजन,कीर्तन तथा मंत्रो के उच्चारण के साथ पहली बार मंदिर के अंदर स्थापित किया जाता है , इस अनुष्ठान के जरिये मूर्ति के अंदर प्राण स्थापित क्या जाता है और देवता को जागृत करना होता है।
हिन्दू धर्म के मुताविक प्राण पर्तिष्ठा बेहद ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान है और यदि यह अनुष्ठान नहीं किया जाता तो मूर्ति को पूजा योग्य नहीं माना जाता है क्यूंकि उस समय मूर्ति निर्जीव होती है और प्राण पर्तिष्ठा के जरिये ही किसी भी मूर्ति के अंदर प्राण का संचार किया जाता है , उसके बाद मूर्ति पूजने के लिए तैयार होती है ।
प्राण पर्तिष्ठा की प्रक्रिया
प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति समारोह होता है जिसके अंदर सबसे पहले मंदिर में सम्मानित अतिथियों का स्वागत होता है और फिर सुगन्धित चीजों का लेप लगा कर दूध से नहलाया जाता है , फिर साफ़ करके प्राण पर्तिष्ठा के लिए योग्य बना लिया जाता है फिर मूर्ति को गर्भ गृह में रखकर उसकी पूजन प्रक्रिया को शुरू किया जाता है ,
सबसे पहले मूर्ति को वस्त्र पहनाये जाते है और फिर पुजारिओं के द्वारा उसको स्थापित क्या जाता है, मूर्ति का मुख सदैव पूर्व दिशा की और रखा जाता है और फिर देवता का आवाहन किया जाता है , इसके लिए कई प्रकार के भजन व मंत्र पढ़े जाते है फिर मूर्ति की आखे खोली जाती है जब मंत्र पढ़ लिए जाते है तो फिर देवता की मूर्ति की पूजा अर्चना की जाती है
Conclusion:-
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