ओम नमः शिवाय भक्तो, शास्त्रों के अनुसार भाद्र पद माह के कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है इसे कजलिया और सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है हिंदू धर्म में इस त्योहार का बहुत ही खास महत्व है। तीज का व्रत साल में तीन बार रखा जाता है। एक को हरियाली तीज दूसरा व्रत कजरी तीज और तीसरा हरतालिका तीज कहलाती है।
तीनों ही तीज व्रत पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है। सुहागिन महिलाएं इस दिन पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए निर्जल व्रत रखकर भगवान शिव माता पार्वती के साथ नीमड़ी माता की आराधना करती है जबकि कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिऐ इस व्रत को धारण करती है।
ऐसा माना जाता है कि कजरी तीज का व्रत रखने से और भगवान शिव के साथ- साथ माता पार्वती की पूजा करने से व्रती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कजरी तीज का व्रत हरतालिका तीज के बाद रखा जाता है। आइए जानते हैं इस साल कजरी तीज का व्रत कब रखा जाएगा।
कजरी तीज व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त
कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त 2024 दिन गुरुवार को रखा जाएगा . इसे कजलिया तीज (Kajalia teej) और सातुड़ी तीज (Satudi teej) के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है इस व्रत के प्रभाव से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर पाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5.15 से शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 22 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर होगा. इसलिए उदया तिथि के अनुसार ये व्रत 22 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 से सुबह 7:30 के बीच रहेगा.
कजरी तीज व्रत की पूजा विधि
कजरी तीज का व्रत सुहागिन और कुंवारी कन्याएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं. शास्त्रों के अनुसार महिलाएं कजरी तीज के दिन सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में नहाने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे फिर मंदिर की साफ सफाई करे
इसके उपरांत पूजा के लिए चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं इसके बाद पूजा की चौकी पर शिव पार्वती और निमड़ी माता की प्रतिमा स्थापित करे फिर मां माता को सोलह सिंगार का सामान अर्पित करें। वही शिव जी का अभिषेक करे उन्हे फूल, बेलपत्र, अक्षत और चंदन अर्पित करें।
अं त में कजरी तीज का व्रत कथा का पाठ करें और अंत में दीपक जलाकर शिव गौरी की आरती करें।आरती के बाद भोग लगाएं रात्रि में चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें जल का अर्घ्य दें कर अपना व्रत पूरा करें.
कजरी तीज व्रत का महत्व
कजरी तीज हिंदू धर्म में महिलाओं के लिऐ एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है यह भाद्रपद महिने के कृष्ण पक्ष की तीसरे तिथि को मनाया जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार, सबसे पहले कजरी तीज का पालन माता पार्वती ने किया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना के लिए के लिए ये व्रत रखती है।
वही कुंवारी लड़कियां इस व्रत को मनोवांछित वर की कामना के साथ करती है मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है. करवा चौथ की तरह इस व्रत को भी निर्जला रखा जाता है। इस पूजा में विवाहित महिलाएं सज संवरकर तैयार होती है और पुरे विधि विधान से निमड़ी माता की पूजा करती है। करवा चौथ की भांति ही इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जा ता है.